विषय का चुनाव और भविष्य
25 जुलाई 2020 "विषय का चुनाव और भविष्य" "रात नहीं ख्वाब बदलता है ,मंजिल नहीं कारवां बदलता है, जज्बा रखो जीतने का क्योंकि किस्मत नहीं वक्त बदलता है ! क्या खूब किसी ने यह पंक्तियां लिखी हैं क्योंकि वक्त का सदुपयोग करना ही समझदारी है खासतौर से एजुकेशन और कैरियर में ! रिजल्ट आ चुका है ,कॉलेजों में एडमिशन शुरू होने वाले हैं और विद्यार्थी वर्ग सब्जेक्ट चूज करने में कंफ्यूज होता है ! ऐसे में पेरेंट्स भी बच्चों पर प्रेशर डालते हैं अपनी पसंद का सब्जेक्ट दिलवाने में ! यदि बच्चा कॉमर्स चाहता है तो पेरेंट्स की ख्वाहिश उसे डॉक्टर बनाने की होती है ! यदि बच्चा साइंस चाहता है तो पेरेंट्स चाहते हैं कॉमर्स लेकर कॉरपोरेट सेक्टर में जाए ! ऐसे ही हालात ज्यादातर घरों में बनते हैं कि बच्चा कुछ लेना चाहता है और उसके पेरेंट्स कुछ और दिलवाना चाहते हैं ! कई बच्चे तो सही डिसीजन ले लेते हैं और कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं जो डिसीजन नहीं ले पाते और अपने पैरंट्स के कहने पर उनकी पसंद का सब्जेक्ट ले लेते हैं मगर फिर कुछ ही समय में वो सब्जेक्ट को उसके सिलेबस को समझ नहीं पाते ,नतीजा रिजल्ट का खराब आना ! और खराब रिजल्ट के साथ वह घर परिवार का सामना करने में घबरा जाते हैं और गलत कदम तक उठा लेते हैं ! कहने का मकसद यह है कि बच्चे को उसकी पसंद का सब्जेक्ट लेने में पेरेंट्स उनकी मदद करें ना कि उन पर अपनी पसंद का बोझ डाले ! उनसे बड़ी बड़ी उम्मीदें ना बांधकर उनके छोटे छोटे डिसीजन में उनका साथ दें ! कदम कदम पर उन्हें उनके निर्णय को सराहे है ! यदि कहीं वह गलत भी हो तो उन्हे समझदारी से सही ग़लत की दिशा बताएं ! यह दिशा ही उन्हें जीवन में कामयाबी की ऊंचाइयों तक पहुंचाती है ! विद्यार्थी वर्गों को चाहिए कि यही समय है उनका सही दिशा में सही कदम उठाने का सही सब्जेक्ट , सही कोलेज लेने का और अपनी मंजिल पर पहुंचने की सीढ़ी चढ़ने का ! क्योंकि सही कोलेज और सही सब्जेक्ट का चुनाव ही उज्जवल भविष्य की पहली सीढ़ी है ! हम बच्चों के लिए यही कहेंगे कि-- बड़े मासूम है वह चलो हम मान लेते हैं, परिंदे रुख हवाओं का पहचान लेते हैं, सफर आसान होता है मंजिल खुद बुलाती है, गर मंजिल पर पहुंचने की हम ठान लेते हैं ! जनसंपर्क अधिकारी ,हमीदा कुरेशी, करियर कॉलेज भोपाल |
Very good blog for parents and students.
ReplyDeleteVery true!!
ReplyDeleteNice blog
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