"जीवन और परिवर्तन'  परिवर्तन प्रकृति का नियम है !  जिस तरह सर्दी ,सर्दी के बाद गर्मी और गर्मी के बाद बारिश आती है ! उसी प्रकार हमारी जिंदगी में खुशी और गम के उतार-चढ़ाव आते जाते रहते हैं ! और इनका आना स्वाभाविक भी है ,इसे रोका नहीं जा सकता !परंतु समझदारी इसी में है कि हर उतार-चढ़ाव को स्वीकार करते हुए जिंदगी में आगे बढ़ते रहे ! अभी इन दिनों देश और विश्व में कोविड-19 ने सभी की जिंदगी यों में बदलाव ला दिया है और यह बदलाव अभी और आगे अन्य रूपों में भी आएंगे जिसके लिए हमें तैयार रहना होगा !  कोविड-19 के चलते जो लॉक्डटाऊन  हुआ उसका असर हर तबके पर पड़ा है परंतु सबसे ज्यादा इसकी मार झेल रहे हैं मजदूर वर्ग , जो घर से बेघर तो है ही उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं और मीलो पैदल चल चल के अपने गांव और घरों की ओर रुख कर रहे हैं ! परंतु भारत की जनता ने, समाजसेवियों ने आगे आकर जो उन्हें मदद मुहैया कराई वह वाकई काबिले तारीफ है ! चंद मुट्ठी भर नफरत फैलाने वालों के तमाम नापाक इरादों को नाकाम करते हुए प्रत्येक समाज के समाजसेवियों ने, युवाओं ने राशन भोजन के वितरण में दिल खोलकर मदद की यह देखे बिना कि कौन किस धर्म संप्रदाय का है ! यह बात , यह साबित करती है कि हमारे दिलों में एक दूसरों के लिए मोहब्बत बस्ती है ! एक दूसरे का दुख देखा नहीं जाता उसे बांटने सभी आगे आ जाते हैं ! खुशी हो या गम हर हाल में हर तीज त्योहारों में हम भारतीय एक दूसरे के रीति-रिवाजों, खानपान और परंपराओं से रूबरू होते हैं !बधाइयां देते हैं !खुशियां बांटते हैं ! असली भारत यही है जो "अनेकता में एकता"  को एक सूत्र में पिरोता है !  इसलिए परिवर्तन चाहे जिस रूप में जैसे भी आए हर हाल में सकारात्मक सोच और भाई चारे के साथ आगे बढ़ते रहना है क्योंकि एकता का मजबूत धागा हर परिवर्तन को झेलने की ताकत देता है और यही एकता हमारे भारत देश की ताकत है ! किसी ने क्या खूब कहा है--" छत पर जाकर आसमान देखती हूं, परिंदों की ऊंची उड़ान देखती हूं, तुम्हें  हिंदू और मुसलमान दिखते हैं "मैं अपने खून में हिंदुस्तान देखती हूं" जय हिंद 🙏🏻जय भारत

हामिदा  कुरैशी 

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