आत्मनिर्भर-भारत : एक अभियान
“ खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं ” ~ महात्मा गाँधी
भारतवर्ष, आत्मनिर्भर-भारत होने का सपना आज से नहीं बल्कि महात्मा गांधी जी के समय से देखता आ रहा है। गाँधीजी की बुनियादी विचारधारा के पीछे मूल उद्देश्य आत्मनिर्भरता ही था, जिसे वर्तमान में पूरा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी अग्रसर हैं।
आपदा को अवसर में बदलने की विचारधारा ने ही आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को बल दिया। आत्मनिर्भर होना एक व्यक्ति के लिए जितना ज़रुरी है उतना ही ज़रूरी एक राष्ट्र के सर्वांगीणविकास के लिए भी है। हमारा देश हर तरह के संसाधनों से परिपूर्ण है इसलिए इसे अपनी आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए किसी अन्य देश पर आश्रित रहने की कोई जरूरत नहीं । न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पिछले आठ महीनो से कोरोना जैसी महामारी से लड़ रही है । इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार को देशव्यापी लॉक डाउन जैसे सख्त कदम तक उठाने पड़े जिसके प्रतिकूल प्रभाव देश की जनता एवं अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा, परन्तु कहते है बुरा समय कभी खाली हाथ नहीं छोड़ता, कुछ न कुछ सिखाकर ही जाता है, इस संकट की घड़ी ने भी हमें आत्मनिर्भर बनने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया।
कहते हैं “आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है”, इसी कहावत को देश की जनता ने चरितार्थ किया और आज हम समय की माँग को देखते हुए वर्तमान में कई लाख पी पी ई किट का उत्पादन करने लगे हैं । इसी के साथ साथ बेहद सस्ते और टिकाऊ वेंटिलेटर का आविष्कार भी इसी श्रृंखला का एक उदाहरण है। आज सेनिटाइजर का उत्पादन भी कई गुना बढ़ गया है।
आज यदि हम भारत को एक आत्मनिर्भर देश के रूप में देखना चाहते हैं तो हर एक देशवासी को पूरे विश्वास के साथ स्वदेशी सामान का उपयोग गर्व के साथ करना होगा । इसी दिशा में हमारे प्रधानमंत्री जी ने देश को आत्मनिर्भरता और वोकल फ़ॉर लोकल के दो मंत्र दिये हैं। दोनों मंत्र परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं।
वोकल फॉर लोकल की विचारधारा आज की नहीं है बल्कि १९०५ में स्वदेशी अभियान के समय गाँधी जी ने भी विदेशी सामान का बहिष्कार करके स्वदेशी सामान को अपनाने पर जोर दिया था, चरखे को चलाना और खादी को अपनाना भी इसी श्रृंखला का एक रूप था।
यदि हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को मूर्त रूप देना चाहते है तो सबसे पहले हमें अपने उत्पादों पर गर्व करना सीखना होगा, उनकी तारीफ करनी होगी, अपने आप को अधिक कुशल व अधिक हुनरमंद बनाना होगा एवं कम संसाधनो में अच्छे से अच्छा उत्पादन करना होगा, ताकि हमारे द्वारा बनाये गए उत्पादो की मांग न केवल देश में बल्कि विदेशो में भी हो।
अक्सर, ये माना जाता है कि नये-नये उत्पादों और इनकी गुणवत्ता की बदौलत ही विकसित देश विश्व बाज़ार में अपना दबदबा बनाये रखते हैं। इसीलिए, यदि भारत को भी विश्व बाजार में अपनी जगह बनानी है तो उसे भी अपने शोध, अनुसंधान, मेहनत और लगन से ऐसी क्वालिटी के उत्पाद तैयार करने पड़ेंगे जिससे हमारी आयात पर निर्भरता तो ख़त्म हो ही, साथ ही साथ विकसित देशों के उत्पादों की तरह भारतीय उत्पादों की भी दुनिया भर में माँग बढे, और हम भी एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश बन सकें। यदि हम ऐसा करते हैं तो वो दिन दूर नहीं जब हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को मूर्त रूप दे पाएंगे।
वर्तमान परिदृश्य को देखा जाये तो इस कोरोना महामारी के दौरान हमें इसी लोकल ने बचाया है। यह देश की ताकत है, जिसे हमें पहचानना होगा। इस संकट ने हमें बताया कि लोकल उत्पाद और लोकल सप्लाई चेन कितनी जरूरी है l हमें लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देना चाहिए , जिससे लोकल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा । हमें न केवल वोकल से लोकल बल्कि लोकल से ग्लोबल भी बनना है आज देश के हर नागरिक को लोकल के लिए वोकल बनना चाहिए, इसके लिए ना केवल लोकल प्रोडक्ट खरीदना बल्कि उनका प्रचार प्रसार भी करना आवश्यक है।
भारतवासियों के लिए भी स्वावलम्बी बनने का सपना उतना ही पुराना है, जितना पुराना हमारा इतिहास है, लेकिन वर्तमान में भारत को आत्मनिर्भर बनानेकी, जैसी राष्ट्रीय मुहिम छिड़ी है वैसा जोश पहले कभी नहीं देखा गया। इसीलिए आत्मनिर्भर भारत के मंत्र का महत्व वोकल फ़ॉर लोकल के नारे के साथ अत्यधिक बढ़ जाता है ।
देश की रक्षा हमेशा सीमा पर खड़े रहकर ही नहीं की जाती ,बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में कुछ योगदान देकर भी हम अपनी देश-भक्ति को उजागर कर सकते है।
“स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ”, आज के भारत का यही नारा है।
डॉ.शिल्पी श्रीवास्तव
सहायक प्राध्यापिका, प्रबंध एवं वाणिज्य विभाग , करियर कॉलेज , भोपाल
Very nice 👍
ReplyDeleteVery meaningful and motivational .
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteNicely written
ReplyDeleteGreat thought with excellent presentation
ReplyDeleteGreat thoughts, impressive, precise, upto the mark and actual need of the hour. Nicely presented.
ReplyDeleteVery nice mam, keep writing , keep benefitting us....
Wow,Awasome swadeshi apnao ,desh bachao....
ReplyDeleteI think its a memorable thoughts with recent circumstances ..
Very true this is the slogan of India...
Great
Awesome 👍
ReplyDeleteGood thought and nicely explain ed.
ReplyDeleteJust loved your thoughts and the way you tried to express it, hats off to your thoughts 💓💓
ReplyDeleteस्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ”, this line explained the meaning of whole essay
Inspirational
ReplyDeleteVery thoughtful and Inspirational, This is demand of time " आत्मनिर्भर भारत" You wrote very well. Keep it up.
ReplyDeleteWah. Very good thought Shilpi. 👍
ReplyDeleteVery good 👌👌
ReplyDeleteभारत का स्वर्णिम इतिहास वर्षों पुराना है , सिंध घाटी सभ्यता आज भी विश्व के सामने आश्चर्य है जिसके व्यापार और वाणिज्य के साक्ष्य रोम और फारस से भी मिलते है , मोर्य युगीन मूहरे भी विदेशो से प्राप्त होना ,इस बात का सबूत है । 5 वी शताब्दी में हेरोडोटस जिन्हें फादर ऑफ हिस्ट्री कहा जाता है उन्होंने भारत और भारत के संबंधों का वर्णन किया है , 300 ईसा पूर्व के आसपास मेगास्थनीज ने इंडिका नामक पुस्तक में मोर युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है ,पाया नमक चीनी यात्री गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश के समाज एवं संस्कृति के बारे में लिखा है , हेनसांग जो हर्षवर्धन के काल में भारत आया और भारत में 15 वर्ष तक नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करके बौद्ध ग्रंथों को चीनी भाषा में ट्रांसलेट करके यहां से ले गया, चाहे अलबरूनी हो या इब्ने बतूता किताब अल हिंद बुक से लेकर रहला तक भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विषय में बहुत ही प्रचुर तथा सबसे अधिक रोचक जानकारियां देते हैं। मध्ययुगीन काल में लाल सागर से और फारस की खाड़ी से भारत के मसालों की खुशबू यूरोप के बाजारों में महका करती थी जिस से आकर्षित होकर वास्कोडिगामा 1498 में भारत आया और इसके बाद एक लंबी श्रंखला शुरू हुई जिसने ब्रिटिश हुकूमत को भारत पर 300 साल राज करने दिया यह सारे के सारे साक्ष्य इस बात का सबूत है कि हमारे पूर्वज कौशल और प्रतिभा मैं विश्व से अग्रणी थे और वर्तमान वैश्विक देशों की निगाहें भारत की ओर होती थी चाहे चरक हो या सुश्रुत , चाहे नागार्जुन हो या आर्यभट्ट भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की , अध्यात्म के क्षेत्र में तो भारत की कोई बराबरी भी नहीं कर सकता , आज जरूरत है फिर से हमें उसी वैभवशाली इतिहास को दोहराने की और उस इतिहास से सीखने की और भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की आइए हम अपना अपना योगदान सुनिश्चित करें और अपने देश के लिए अपने देश को सर्वोच्च स्थान पहुंचाने के लिए लोकल फॉर वोकल को गुरु मंत्र बनाएं ।
ReplyDeleteExcellent good thought indian
ReplyDeleteLocal for vocal
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery well thought out and written article. School and college education are the pillars for making the economy and coming generation self reliant. Teacher like you have to play pivotal role in this Vision.
ReplyDeleteSuperbly penned down..
ReplyDeleteBahut sunder vyakt kiya hai
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा गया है।
ReplyDeleteI strongly support this thought 👏👏 . Well said madam
ReplyDeleteTruly spoken and well written Ma'am.
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